मंगलवार, 6 अक्तूबर 2009

आज मेरे लिये कुछ खास रहा | अपने ही द्वारा तैयार किया गया अपना ही ब्लॉग देख कर ख़ुशी हो रही है | लोगो की प्रतिक्रिया अच्छी लग रही है

सोमवार, 5 अक्तूबर 2009

मुझे बेहद अफ़सोस है, कि मै आज एक ऎसा अध्यापक हुँ जो एक अन्तराष्ट्रीय भाषा के प्रति बेहद कमजोर है। और शायद इस लिये और भी ज्यादा की मै अध्यापक हूँ। यदपि औरो कि नज़र मे मै अच्छा आटिस्ट हूँ और ये बात तर्कसंगत भी है की कला किसी भाषा की मोहताज नही है येही बात दिल को शकून पहुचाती है।

रविवार, 4 अक्तूबर 2009

अगर आप कला के प्रति जरा भी संवेदनशील है तो आप को हैरानी होगी इस रेखाचित्र को देख कर | हमारे एक मित्र है "विक्रम जी" ये रेखाचित्र उनके द्दारा तैयार किया गया एक सफल प्रयास है | रेखाए और पूरा संयोजन जैसे किसी कहानी की रुपरेखा तैयार कर रहे हो | मेरे द्दारा की गई प्रसंसा शायद कम होगी |